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Veer Savarkar का जीवन परिचय

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Veer Savarkar का जीवन परिचय

आपको बता दे की आज 26 फरवरी को स्वात्यंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर की 58 वीं पुण्यतिथि देश भर में मनाई जाएगी!

Veer Savarkar का जीवन परिचयवीर सावरकर जिनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था , ये एक लेखक, कार्यकर्ता और राजनीतिज्ञ थे, 1922 में रत्नागिरी में हिरासत में लिए जाने के बाद इन्होने हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक सिद्धांत बनाया जिसे हिंदुत्व के रूप में आज भी जाना जाता है। वीर सावरकर हिंदू महासभा में प्रमुख का स्थान रखते थे, जब उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी, तो उसमे उन्होंने सम्मानजनक उपसर्ग वीर को लिखना शुरू कर दिया था, जिसका अर्थ होता है “बहादुर।” तब से वीर सावरकर नाम प्रचलित होने लगा!

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Veer Savarkar का परिचय

Veer Savarkar के कार्य

हिंदू-मुस्लिम दंगों के बाद, जब Veer Savarkar 12 साल के थे, तो उन्होंने अपने गांव में मस्जिद पर हमला करने में अन्य बिध्यार्थियो का नेतृत्व किया था , और घोषणा की कीहमने अपने दिल की खुशी के लिए मस्जिद को नुकसान पहुंचाया!

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अपने बड़े भाई गडेश के साथ मिलकर 1903 में नासिक में मित्र मेले की स्थापना की, इस क्रांतिकारी समूह ने बाद में अपना नाम बदलकर अभिनव भारत सोसाइटी कर लिया था इनका ममुख्य लक्ष्य ब्रिटिश शासन का उन्मूलन और हिंदू गौरव का पुनरुद्धार करना था!

विनायक दामोदर सावरकर जिन्हें Veer Savarkar के नाम से भी जाना जाता है, ये ग्रेट सोसाइटी ऑफ हिंदुओं के एक प्रमुख सदस्य थे, जो एक राजनीतिक दल और संगठन है जो हिंदू राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है, सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को भारत के नासिक के एक गांव भगुर में हुआ था और 26 फरवरी, 1966 को मुंबई में उनका निधन हो गया था !

veer savarkar (विनायक दामोदर सावरकर) का इतिहास

वीर सावरकर ने तोड़फोड़ और हत्या की तकनीकों में भारतीय क्रांतिकारियों के एक बहुत बड़े ग्रुप को प्रशिक्षित करने में सहायता की, जो उनके पेरिस में रूसी निर्वासन क्रांतिकारियों से सीखी थी, तब सावरकर लंदन (1906-10) में लॉ के छात्र थे!

सावरकर ने 1909 में द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857 लिखी थी , जिसमें उन्होंने अपनी राय व्यक्त की थी कि 1857 का भारतीय विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक नियंत्रण के लिए व्यापक भारतीय प्रतिरोध की पहली अभिव्यक्ति थी!

सावरकर को मार्च 1910 में हिरासत में लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया जिसमे उन्हें युद्ध से संबंधित आरोपों के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था !

सावरकर ने 1937 के बाद बड़े पैमाने पर सभा और दौरा करना शुरू किया, तब ये जाकर एक प्रेरक वक्ता और लेखक के रूप में विकसित हुए, जिन्होंने हिंदू राजनीतिक और सामाजिक एकता को बहुत अधिक बढ़ावा दिया!

सावरकर ने सिखों समुदाय से वादा किया था, ‘जब मुसलमान पाकिस्तान के अपने स्वप्न से जागेगे तो वे पंजाब में एक सिखिस्तान देखेंगे,सावरकर 1937 तक रत्नागिरी में ही रहे!

1939 में सावरकर ने मुस्लिम लीग के साथ एक सौदा किया, उस सौदे में सावरकर दो-राष्ट्र की धारणा से सहमत थे, उन्होंने कांग्रेस कार्य समिति के 1942 के वर्धा सत्र के फैसले पर अपनी असहमति व्यक्त की!

सावरकर ने जुलाई 1942 में हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दिया इस्तीफा उसी समय दिया था जब गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन हुआ था,वीर सावरकर पर 1948 में महात्मा गांधी की हत्या में साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत ने सबूतों के न मिलने के अभाव में उन्हें छोड़ दिया था!

Veer Saverkar की मृत्यु

Veer Saverkar को 26 फरवरी, 1966 को सुबह 11:10 बजे मुंबई में उनके घर पर मृत घोषित कर दिया गया।

उनकी मृत्यु से पहले उनकी हालत बहुत गंभीर थी। विनायक दामोदर सावरकर ने अपने परिवार से कहा था कि वे पूरी तरह से उन्हें दफन करें और मरने से पहले 10 वें और 13 वें दिनों के लिए जो हिंदू संस्कार होते है उन्हें छोड़ दें।

 Veer Savarkar की पुस्तकें

Veer Savarkar जी ने हिंदीत्व लिखा: हिंदू कौन है? 1923 जेल में रहने के दौरान ही लिखी, हिंदुत्व शब्द को लोकप्रिय जेल में रहने के दौरान ही बनाया था!

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